पाइ की खोज–दीपक जोशी
श्रीनगर गढ़वाल। ईसा 3500 वर्ष पूर्व सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था,इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए मनुष्य ने एक हवील बैरो बनाया परन्तु इसका पहिया ठीक -ठीक गोला कार नहीं बन पाया। इससे हमेशा एक खतरा बना रहता था कि कही इस पर रखा सामान गिर न जाय। इस समस्या के हल के लिए एक माप (Measurement) बनाया गया, यदि पहिए का ब्यास 7 सेन्टीमीटर हो तो पहिए की परिधि 22 सेन्टीमीटर होनी चाहिए तभी सही-सही गोलाकार पहिया बन सकता है अर्थात गणितीय रुप में पहिए के व्यास और परिधि के अनुपात को ही पाइ कहते हैं। इसे ग्रीक भाषा के अक्षर π (pie: पाइ) से प्रदर्शित किया जाता है। ब्यास और परिधि के अनुपात को निम्न सूत्र के द्वारा लिखा जाता है,C/D=π, D= ब्यास=2r, r= त्रिज्या,यदि इस सूत्र को बज्र गुणन कर दिया जाय तो वृत्त की परिधि का सुप्त बन जाता है। C = 2πr,पाइ (π) ग्रीक तथा अंग्रेजी भाषा का सोलहवाँ अक्षर है। ग्रीक भाषा में परिधि (Circumference) को पेरीफेरी (Perifere) और परिमाप (Perimeter) को (Perimitrose) कहा जाता है। दोनो का प्रथम अध्वर अंग्रेजी भाषा का 4 अक्षर है। इसीलिए पाइ (π) को प्रदर्शित करने के लिए p का प्रयोग किया गया है। सुपर कम्प्यूटर की गणनाओं से पता चलता है कि पांच ट्रिलियन टाइम्स 22/7 को विभाजित करने पर यह कभी भी पूरा पूरा विभाजित नहीं हो पाता,इसी कारण पाइ एक (Non-terminating) अनवखनी,(Nor repeating) गैर पुनरावृर्ती संख्या है। π=3.14159, प्रत्येक वर्ष मार्च माह की 14 तारीख को एक बजकर उनसठ मिनट पर पाइ डे मनाया जाता है। यह रोचक जानकारी भी इसके मान के आधार पर निर्धारित की गई है। गणित में पाइ का प्रयोग सिलेंडर का क्षेत्रफल,आयतन,वृत्त की परिधि,क्षेत्रफल,ज्ञात करने में किया जाता है। दीपक जोशी (स.अ.) राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय पल्ली विकास खण्ड थलीसैंण जिला पौड़ी गढ़वाल उत्तराखण्ड।