उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में बच्चों को लग रही फास्ट-फूड की लत,स्वास्थ्य के लिए बन रहा खतरा जरूरी है सख्त निगरानी और जन-जागरूकता
श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड के ग्रामीण अंचलों में फास्ट-फूड का बढ़ता प्रचलन अब चिंता का विषय बनता जा रहा है। स्वास्थ्य का दुश्मन फास्ट-फूड,स्वाद के पीछे भागना-सेहत से नाता तोड़ना। आपको बता दे कि विशेषकर ग्रामीण सड़कों के किनारे तेजी से खुलती फास्ट-फूड की छोटी दुकानों और ठेलियों ने गांव के बच्चों और किशोरों को मोमोज,चौमिन,स्ट्रींग रोल जैसे जंक फूड की आदत में डाल दिया है। ये स्वादिष्ट लेकिन स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक खाद्य पदार्थ अब गांव-गांव में बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बनते जा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की पहले से ही सीमित उपलब्धता के बीच बच्चों में पाचन संबंधी समस्याएं,मोटापा,और पोषण की कमी जैसी बीमारियों का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। अभिभावकों की चिंता भी बढ़ रही है,लेकिन जागरूकता की कमी और विकल्पों के अभाव में वे भी असहाय नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार,अत्यधिक तेल,मैदा और सोडियमयुक्त ये खाद्य सामग्री बच्चों के विकास में बाधक बन सकती है। साथ ही,स्वच्छता की कमी से बनने वाले ये खाद्य पदार्थ संक्रमण व खाद्य जनित रोगों का कारण भी बनते हैं। क्यों जरूरी है रोकथाम- 1.बच्चों का स्वास्थ्य खतरे में: लगातार जंक फूड खाने से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है।
2.स्थानीय खाद्य परंपराएं खत्म हो रही हैं: पहाड़ी पारंपरिक व्यंजन जैसे झंगोरे की खीर,मंडवे की रोटी,गहत की दाल अब बच्चों की थाली से गायब हो रहे हैं।
3.लत बनती जा रही है: स्वाद के कारण यह आदत धीरे-धीरे लत में बदल रही है,जिसे बदलना कठिन हो रहा है।
क्या हो सकते हैं उपाय- स्थानीय प्रशासन की निगरानी: पंचायतों और स्कूलों के माध्यम से गांवों में सड़क किनारे खुल रही अस्वच्छ फास्ट-फूड दुकानों की निगरानी जरूरी है। स्वास्थ्य विभाग की पहल: स्कूलों में पोषण जागरूकता अभियान चलाए जाएं,जिससे बच्चों को सही खान-पान की जानकारी मिले। स्थानीय व्यंजनों को बढ़ावा: सरकारी और सामाजिक संगठनों द्वारा पारंपरिक पहाड़ी व्यंजनों को स्कूलों में मिड-डे मील या सार्वजनिक कार्यक्रमों में शामिल किया जाए। अभिभावकों की भूमिका: माता-पिता को बच्चों की खान-पान की आदतों पर ध्यान देने और उन्हें स्वस्थ विकल्प प्रदान करने की आवश्यकता है। उत्तराखंड के ग्रामीण समाज के सामने यह एक गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य चुनौती बन चुकी है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए,तो आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है। समय है कि हम आधुनिकता की आंधी में अपनी परंपराओं और स्वास्थ्य को खोने न दें। अपने बच्चों को फास्ट फूड की लत से बचाएं-आज की सावधानी,कल की सुरक्षा।