Saturday 19/ 07/ 2025 

Bharat Najariya
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गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी में क्रांति ला रही है रोबोटिक तकनीक

गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) सर्जरी के क्षेत्र में रोबोटिक सर्जरी एक परिवर्तनकारी तकनीक के रूप में उभरी है, जो पाचन तंत्र से संबंधित विभिन्न रोगों के उपचार के लिए न्यूनतम इनवेसिव तरीका प्रदान करती है। अत्याधुनिक रोबोटिक प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए, सर्जन अब पारंपरिक ओपन और लैप्रोस्कोपिक तकनीकों की तुलना में कहीं अधिक सटीकता, कुशलता और बेहतर विज़ुअलाइज़ेशन के साथ जटिल सर्जरी कर सकते हैं।

रोबोटिक सर्जरी वास्तव में लैप्रोस्कोपी का ही एक रूप है, जिसमें सर्जरी रोबोटिक आर्म्स से जुड़े उपकरणों के माध्यम से की जाती है। एक पतली ट्यूब, जिसमें हाई-विज़न 3डी कैमरा लगा होता है, सर्जरी के समय सर्जन को सटीक और विस्तृत दृश्य प्रदान करता है। रोबोटिक आर्म्स को ऑपरेटिंग सर्जन कंप्यूटर कंसोल के माध्यम से नियंत्रित करते हैं, जिससे पूरी सर्जरी विशेषज्ञ सर्जन के अनुभव और कौशल पर निर्भर रहती है, न कि रोबोट पर।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नोएडा के जीआई एवं हेपेटो–पैंक्रियाटिको-बिलियरी सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. राजेश कपूर ने बताया कि “जब सवाल उठता है कि सर्जरी कौन करता है – सर्जन या रोबोट? तो इसका स्पष्ट उत्तर है कि सर्जरी पूरी तरह से एक प्रशिक्षित जीआई सर्जन द्वारा की जाती है, जो मिनिमली इनवेसिव एवं रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी में निपुण होता है और रोबोटिक आर्म्स को नियंत्रण में रखते हुए सर्जरी को अंजाम देता है। रोबोटिक सर्जरी की सबसे बड़ी विशेषता इसकी उत्कृष्ट सटीकता और दक्षता है। रोबोटिक आर्म्स की मूवमेंट रेंज इंसानी हाथों से भी कहीं अधिक है, जिससे कठिन और सीमित जगहों में भी सर्जरी को बेहद सटीकता से किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, रोबोटिक सिस्टम हाथों के कंपन (ट्रेमर) को समाप्त कर देता है, जिससे सर्जरी के दौरान एकाग्रता और नियंत्रण और भी अधिक बढ़ जाता है। सर्जनों को थ्री-डी हाई डेफिनिशन इमेज के साथ ऑपरेशन क्षेत्र का बेहद स्पष्ट दृश्य प्राप्त होता है, जिससे जटिल सर्जिकल प्रक्रियाओं को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से निष्पादित किया जा सकता है।“

सर्जिकल परिणामों के संदर्भ में भी रोबोटिक सर्जरी काफी प्रभावशाली है। चूंकि इसमें छोटे चीरे लगते हैं और कम से कम स्कारिंग होती है, इसलिए मरीजों को कम दर्द, कम अस्पताल में रहने की अवधि और तेजी से सामान्य गतिविधियों में लौटने का अवसर मिलता है। अध्ययनों के अनुसार, रोबोटिक सर्जरी के बाद दर्द के स्तर में कमी देखी गई है, जो सर्जिकल उपकरणों की बारीक और नियंत्रित गति के कारण संभव होता है। इसके अतिरिक्त, रोबोटिक सर्जरी के दौरान रक्तस्राव भी कम होता है, जिससे रक्त चढ़ाने की आवश्यकता घट जाती है और जटिलताओं की संभावना भी कम हो जाती है।

डॉ. राजेश ने आगे बताया कि “जीआई सर्जरी में रोबोटिक तकनीक का उपयोग विभिन्न स्थितियों के इलाज में किया जा सकता है। कोलोरेक्टल सर्जरी के अंतर्गत कोलोरेक्टल कैंसर (विशेषकर लो रेक्टल कैंसर में स्थायी स्टोमा से बचने हेतु), अल्सरेटिव कोलाइटिस और रेक्टल प्रोलैप्स का इलाज रोबोटिक माध्यम से किया जाता है। इसी प्रकार इसोफैगोगैस्ट्रिक सर्जरी में इसोफैगेक्टोमी, हायाटल हर्निया रिपेयर और फंडोप्लिकेशन (गैस्ट्रो-इसोफैगियल रिफ्लक्स डिजीज के लिए), तथा गैस्ट्रेक्टोमी जैसी प्रक्रियाएं सफलतापूर्वक की जाती हैं। बैरियाट्रिक एवं मेटाबोलिक सर्जरी में स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी, मिनी गैस्ट्रिक बायपास और रू-एन-वाई बायपास जैसी वजन घटाने वाली सर्जरी भी अब रोबोटिक्स के माध्यम से अधिक सुरक्षित और कुशल बन गई हैं। हर्निया सर्जरी में इन्गुइनल, फेमोरल और एब्डोमिनल वॉल हर्निया (इंसीजनल, वेंट्रल और रिकरंट हर्निया) का उपचार भी रोबोटिक तकनीक से संभव है। हेपाटो-पैंक्रियाटिको-बिलियरी (एचपीबी) सर्जरी के तहत लिवर रिसेक्शन, स्प्लेनक्टॉमी, पैंक्रियाटिक सर्जरी, कोलेसिस्टेक्टॉमी और अन्य जटिल एचपीबी प्रक्रियाएं भी अब रोबोटिक माध्यम से की जाती हैं। साथ ही, छोटी आंत में ट्यूमर या अन्य स्थितियों के लिए आवश्यक सर्जिकल रिसेक्शन भी अब रोबोटिक्स से संभव हैं।“

हालांकि रोबोटिक सर्जरी के कुछ संभावित नुकसान भी हैं। यह पारंपरिक लैप्रोस्कोपी की तुलना में अधिक महंगी होती है, इसे करने के लिए सर्जनों को विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, और यह हर अस्पताल में उपलब्ध नहीं होती। इसके अलावा, कुछ मामलों में यदि कोई तकनीकी कठिनाई उत्पन्न हो, तो रोबोटिक सर्जरी को पारंपरिक ओपन सर्जरी में बदलना भी पड़ सकता है। फिर भी, इन चुनौतियों को सर्जन के अनुभव, अस्पताल के संसाधन और विशिष्ट सर्जिकल प्रक्रियाओं के अनुसार काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

रोबोटिक सर्जरी अब भविष्य की नहीं, बल्कि वर्तमान की तकनीक बन चुकी है। एक समय था जब इसे केवल एक कल्पना माना जाता था, लेकिन आज यह धीरे-धीरे जीआई से संबंधित सौम्य और कैंसरग्रस्त रोगों की सर्जरी में व्यापक रूप से अपनाई जा रही है और बेहतर परिणाम प्रदान कर रही है। रोबोटिक सर्जरी यहाँ है और यह आगे भी बनी रहेगी — और सर्जन भी!