आशु आत्महत्या के दोषियों पर सख्त कार्यवाही हेतु परिजनों ने दी तहरीर

किसी और को जान गवाकर न अदा करना पड़े कर्ज
गदरपुर । वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के सख्त निर्देश के बाद भी क्षेत्र में सूदखोरों का धंधा जोरों से फल फूल रहा है। सूदखोरों के शिकंजे में जो एक बार आ गया आखिर में उसको आशू की तरह अपनी जान गवाकर सूदखोर से पीछा छुड़ाना पड़ता है। क्योंकि सूदखोरों का ब्याज दर ब्याज ईतना ज्यादा होता है कि आसानी से चुकाया नहीं जा सकता और कर्ज न देने की स्थिति में सूदखोरों द्वारा कर्जदार को अनेको प्रकार से टॉर्चर किया जाता है और अंत में परेशान होकर कीमत उस कर्जदार को अपनी जीवन लीला समाप्त करके चुकानी पड़ती है ऐसा ही एक ताजा वाक्या सामने आया है अभी हाल ही में 32 वर्षीय आशू ने कर्ज के बोझ से दबे होने के कारण फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। हलांकि घटना के 2 दिन बाद परिजनों की ओर से तहरीर पुलिस को सौंपी गई है जिसकी पुलिस द्वारा गंभीरता जांच की जा रही। वही घटना वाले दिन पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर मृतक के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेजा गया। वार्ड नंबर 10 जामा मस्जिद के पास किराए के मकान में आशु (३२)पुत्र स्वर्गीय श्याम लाल अपनी मां कांता रानी के साथ रहता था और चाय की दुकान करके अपना गुजर बसर करता था । उसकी मां कांता रानी ने बताया कि शनिवार बाजार बंदी के दिन वह 2:00 बजे आकर कमरे में सो गया कुछ समय बाद उसने अपने पुत्र को जगाने के लिए आवाज़ दी तो कोई आवाज नहीं आई जिस पर उसने दरवाजा खोला तो देखा आशु पंखे के कुंडे से लटका हुआ था, यह देख उसकी चीख निकल गई जिस पर मकान मालिक इत्तेदार अहमद और अन्य लोग मौके पर पहुंचे और आशु को फंदे से नीचे उतारा मौके पर पहुंची पुलिस ने पूछताछ करते हुए मृतक के शव को पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम हेतु भेजा व पोस्टमार्टम के बाद परिजनों ने शव का दाहसंस्कार किया वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कर्ज के बोझ से दबे आशू को कर्जदार दबाव बनाकर परेशान करते रहते थे जिस पर उसने यह कदम उठाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। आशु के पिता श्याम लाल का काफी समय पूर्व निधन हो चुका है। मां कांता रानी का एक मात्र सहारा भी उससे छिन गया है। उसकी एक विवाहिता बहन अनीता है मां का एकमात्र सहारा छीनने के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था। वही घटना के बाद परिजनो ने तहरीर देकर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।
विधवा मां का एकमात्र सहारा था आशु
गदरपुर
पिता का कई वर्ष पूर्व देहांत हो चुका है अब आशु किराए के मकान में अपनी विधवा मां के साथ रहता था आशू चाय बेचकर अपने घर का खर्च चलाता था मां का एकमात्र सहारा था आशू।
अब बूढी मां के सामने खड़ा हो गया है जीवन गुजर बसर करने हेतु रोजी-रोटी का संकट।