मां का स्नेह
ममता भरी मां एक छांव,,,
ममता भरी मां एक छांव
मां से बड़े है सुख आभास एक नीड़ कोमल परिंदो का
रहती जिसमे दुनिया सारी
चुग चुग कर है दाना लाती
अपने बच्चों को है खिलाती
देख-देख कर मां हर्षाती ।
मां-ममता का कर्ज है भारी
चुका न सकी ये दुनिया सारी
नज़रों से ही पढ़ लेती बात
बिना कहे समझे जज़्बात
थके जग पर मां ने थकती
हर मुश्किल से मां है लड़ती
दुआएं बनकर साथ है चलती
मां है एक ऐसा संधान
हर नमुमकिन करती आसान
दुलार, समर्पण, त्याग अनमोल
उपमा का कहीं ,नहीं है तोल
देती अपने जीवन को रोल
शब्द मां में है बाह्मांड समाया
महिमा मां की वेदों ने गाया
ईश्वर को भी जनने वाली
गोदी में है,खिलाने वाली
संस्कारों को है देने वाली
व्यक्तित्व महान बनाने वाली
न करना कभी अभिमान
मां से ही है तुम्हारी पहचान।।