पंचेश्वर वासियों की गुहार डैम न बनाए केंद्र सरकार लाखो लोगो को होंगी हानि

विजवल:भारत व नेपाल के संयुक्त प्रयासों से चंपावत जिले के लोहाघाट ब्लॉक के पंचेश्वर में महाकाली नदी मे एशिया का सबसे बड़ा लगभग 325 मीटर ऊंचा डैम प्रस्तावित है डैम निर्माण में भारत व नेपाल की पहाड़ियों में टनल बनाने के कार्य भी कुछ हद तक पूरे किए जा चुके हैं लेकिन नेपाल सरकार के विरोध के चलते फिलहाल तीन सालों से डैम निर्माण का कार्य रुका हुआ है अगर भविष्य में डैम निर्माण होता है तो डूब क्षेत्र में चंपावत जिले का पंचेश्वर , घाट, पनार के साथ-साथ पिथौरागढ़ जिले का जोलजीबी, झुलाघाट तक का बड़ा क्षेत्र आ रहा है वही डैम निर्माण में हजारों लोग बिस्थापित होंगे और लाखों पेड़ों की बली चड़ेगी तथा कई ऐतिहासिक जगह पानी में विलुप्त हो जाएंगी क्षेत्र वासियों का कहना है यह हमारे पूर्वजों की धरती है यहां हमारे देवी देवताओं के मंदिर है इस जगह से हमारी पहचान है हम किसी भी कीमत में अपनी भूमि नहीं छोड़ेंगे लोगों ने कहा इतना बड़ा डैम देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है लोगों ने डैम को एटम बम की संज्ञा दी है लोगों का कहना है भविष्य में यदि चीन या पाकिस्तान से युद्ध होता है तो दुश्मन देश इस डैम पर अटैक कर सकते हैं जिससे लाखों लोगों की जान जाने का खतरा हो सकता है साथ ही डैम पर्यावरण के लिए भी यह बड़ा घातक सिद्ध होगा लोगों ने कहा इस क्षेत्र में रहने वाले कई दुर्लभ प्रजाति के जानवर , गोल्डन महासीर , व्हाइट ईगल आदि बिलुप्त हो जाएंगे क्षेत्र वासियों का कहना है सरकार इस क्षेत्र को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करें लोगों को रोजगार दे मालूम हो पंचेश्वर एंगलिंग व गोल्डन महसीर के लिए विश्व प्रसिद्ध जगह है जहां देश-विदेश के एंगुलर पहुंचते हैं वहीं क्षेत्र के लोगों ने मोदी सरकार से गुहार लगाते हुए डैम ने बनाने का आग्रह किया है हालांकि यह डैम पीएम मोदी का सपना है नेपाल सरकार के लगातार डैम निर्माण के लिए बातचीत जारी है देखना है भविष्य मे बनता बनता है या नहीं लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं लेकिन क्षेत्रवासी डैम बनने के कतई पक्षधर नहीं है तो वहीं कई लोग डैम बनने के पक्ष में हैं मालूम हो जब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी तब इस डैम पर कार्य शुरू हुआ था पर नेपाल सरकार के बीच-बीच में विरोध के चलते बरसों से डैम लटका पड़ा है