ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान देहरादून शहर में उत्तराखंड की लोक कला संस्कृति के चित्रों को उकेरा जाने के नाम पर जनता के करोड़ों रुपए का दुरपयोग हुआ है,

साफ दर्शाता है कि हमारी संस्कृति से खिलवाड़ हुआ है, हमारे देवी देवताओं और महापुरुषों के चित्रों को सड़कों पर ऐसी गंदगी भरी जगहों पर उकेरा गया है, जहां रात्रि में अक्सर सड़क चलते लोग लघु शंका करते रहते हैं, इस दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण यह है कि चित्र उकेरने के लिए ठेका विधर्मियों को दिया गया था जिन्हें हमारे धर्म और संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है, टपकेश्वर मंदिर गढ़ी कैंट में शासन प्रशासन ताल मेल और अनदेखी के ऐसे एक मामले को आपके सामने रखना है जहां रोड चौड़ीकरण होना है , यहां पर 72 जगह पर लाल निशान लगाकर जगह चिंहित करी गई है, यह प्रस्ताव कोई वर्षों से चल रहा है, जो कि अभी हाल ही में प्रस्ताव पारित हुआ है, यही आलम शहर के कई हिस्सों में है, ऐसे में इस रोड पर इन चित्रों को बनाया जाना बेमायने है, किसी के विपरीत जब निगम द्वारा शहर के सौंदर्य करण के नाम पर कई विभिन्न संस्थाओं और स्कूली छात्र छात्रों ने चित्रों को बनाया था , तो उन्हीं का संरक्षण करना जरूरी बनता था लेकिन वहां अनदेखी कर दी गई, आखिर ऐसा कब तक चलेगा कहीं कोई किसी भी कार्य के लिए एक लंबी अवधि के लिए नियम कार्य कानून क्यों नहीं बनते हैं और उस पर अमल क्यों नहीं होता है, इतने लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का क्या फायदा, जबकि स्कूली छात्राओं को इस कार्य के लिए सरकार को और प्रेरित करना चाहिए समय-समय पर उनका सम्मान करें ताकि वह इसकी देखरेख भी करते रहें जिसमें सरकार का खर्च मात्र जीरो होगा और सरकारी करोड़ों रुपए की बचत हो सकेगी l रोशन राणा (अध्यक्ष) श्री महाकाल सेवा समिति रजि