समलौंण पौधा रोपकर मनाया तन्मय का जन्मदिवस-पर्यावरण संरक्षण का दिया अनोखा संदेश

पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। जनपद पौड़ी गढ़वाल के विकास खण्ड पौड़ी के ग्राम कमेड़ा में एक अनूठी पहल के तहत बालक तन्मय ममगांई के जन्मदिवस को पर्यावरण संरक्षण पर्व के रूप में मनाया गया। जन्मदिन पर केक काटने की परंपरा से हटकर परिवार ने गांव के प्राकृतिक जलस्रोत के पास बांज (समलौंण) का पौधा रोपित कर एक मिसाल पेश की। इस अवसर पर तन्मय की दादी बुद्धि देवी ने पौधे की देखभाल एवं संरक्षण की जिम्मेदारी अपने हाथों में ली। उन्होंने कहा कि जन्म का सच्चा उत्सव वही है जो धरती को भी जीवन दे। कार्यक्रम का संचालन समलौंण आंदोलन की राज्य संयोजिका सावित्री देवी ममगांई ने किया। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण केवल एक परंपरा नहीं,बल्कि धरती माता के प्रति हमारा कर्तव्य है। उन्होंने पंडित से पूजा-अर्चना के उपरांत पौधारोपण कराते हुए कहा कि इस शुभ अवसर पर किया गया वृक्षारोपण जीवन और आस्था का संगम है। सावित्री देवी ने बताया कि बांज (क्वेरकस) चौड़ी पत्ती वाला वृक्ष है जो वर्षा के कटाव को रोकता,मिट्टी के अपरदन से बचाता और अपनी जड़ों में वर्षा का पानी संचित कर धारों,नालों और गदेरों में जल प्रवाह बनाए रखता है। उन्होंने कहा कि बांज वृक्ष न केवल पर्यावरण के संतुलन के लिए आवश्यक है,बल्कि पशुओं के चारे,ईंधन और कृषि उपकरणों के निर्माण में भी उपयोगी होता है। सावित्री देवी ममगांई ने कहा कि आज का समय पर्यावरण संकट से जूझ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग,जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक असंतुलन जैसी चुनौतियां मानवता के लिए चेतावनी हैं। उन्होंने कहा हमें हर संस्कार जन्म,विवाह,मृत्यु या पर्व पर समलौंण पौधारोपण को अपनी जीवनशैली में शामिल करना होगा,तभी हम आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ पृथ्वी दे पाएंगे। इस अवसर पर ग्राम कमेड़ा के ग्रामीणों ने पर्यावरण संरक्षण की सामूहिक शपथ ली और निर्णय लिया कि हर घर में कम से कम एक पौधा समलौंण या बांज का रोपित किया जाएगा। कार्यक्रम में समलौंण सेना की सदस्य सोनू,शैली,उपासना देवी,सुमति देवी,आनंदी देवी,सर्वेश्वरी देवी,सुनीता देवी,सोनम,क्षेत्र पंचायत सदस्य कुसुम खंडूड़ी,सुरेश खंडूड़ी,पुष्पा देवी,वन विभाग के कर्मचारी एवं समस्त ग्रामवासी उपस्थित रहे। गांववासियों का कहना था कि तन्मय के जन्मदिवस पर पौधारोपण जैसी पहल आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाएगी कि उत्सव वही है जो धरती को हरियाली का उपहार दे। इस आयोजन ने न केवल तन्मय के जन्मदिवस को यादगार बनाया,बल्कि पूरे क्षेत्र में संस्कार और पर्यावरण का संगम रच दिया।
