
भीषण आपदा ने पहाड़ों में जो कहर बरपाया उसे कौन भूल सकता हैं हजारों लोगो के आशियाने लोगो के सामने ही नदी में समा गए देवभूमि पूरी तरह से प्रकृति के आक्रोश से भयभीत हो उठी हर जगह बर्बादी की मंजर नजर आ रहा था माहौल था अफरातफरी का तो वही शासन प्रशासन को भी कुछ समझ नही आ रहे था। जिसके बाद आपदा से निपटने को लेकर बड़े– बड़े दावे किए गए। बड़े– बड़े नेता पहाड़ों में आकर भविष्य में इस तरह की आपदा से निपटने के लिऐ ठोस कदम उठाने की लिए बात कर रहे थे लेकिन इस साल की पहली मानसूनी बारिश ने ही सरकार की पोल खोल कर रख दी है जिन रास्तों के जरिए सरकार लोगो को बचाने का दावा करती थी वह रास्ते पहली बारिश मे ही तहस नहस हो गए। जिन पुलो के जरिए आपदा राहत दलों को लोगो की सुरक्षा के लिए भेजा जाना था वो पुल भी नही रहे हैं।
मगर वहा बारिश के दौरान मोबाइल टावरों के सिग्नल ही बंद हो गए जिस कारण कई गांव तो ऐसे थे जिनका संपर्क पूरी तरह से देश और दुनिया मे पूरी तरह से टूट चुका था तो वही उफान भर रही नदियों के किनारे बाढ़ सुरक्षा दिवारे भी कई जगह नजर नही आ रही थी जो पूरी तरह से लोगो को साल 2013 मे आयी भीषण आपदा की याद दिला रही थी वो तो प्रकृति का शुक्र हैं कि बारिश कुछ दिनों बाद ही रुक गई और नदियों का जलस्तर कम हो गया। लेकिन सरकार के तमाम आपदा विकास कार्यों की पोल खुल गई।
वही जुलाई माह में मौसम विभाग की चेतावनी एक बार फिर दे दी गयी है।
वही शासन ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वो आपदा प्रबंधन टीम को सावधान कर दें लेकिन एक बार फिर हो रही बारिश ने लोगो को परेशान कर दिया और यह भी सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर हमारी सरकार कब बेहतर योजना बनायेगी।