Thursday 04/ 09/ 2025 

Bharat Najariya
Hello testingराज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) और मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज ऋषिकेश से पंज प्यारों की अगुवाई में श्री हेमकुंट साहिब यात्रा के लिए जाने वाले प्रथम जत्थे को रवाना किया।Uttrakhand News:बाहरी राज्यों से उत्तराखंड आने वाले सभी निजी, व्यावसायिक वाहनों का प्रवेश होगा महंगाUttrakhand News:बाहरी राज्यों से उत्तराखंड आने वाले सभी निजी, व्यावसायिक वाहनों का प्रवेश होगा महंगापूर्व पार्षद ने‌ लगाई जानमाल की सुरक्षा की गुहार, पुलिस के रवैए से हैं नाराजहल्द्वानी में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में निकलेगी तिरंगा यात्राएक्सक्लूसिव खबर: लोनिवि इंजीनियर की सेवा पुस्तिका हुई गायब, अधिकारियों व कर्मचारियों से मंगाए दो मुट्ठी चावल, देवता करेंगे न्यायगवर्नमेंट पेंशनर्स का शिष्टमंडल हल्द्वानी विधायक से मिला, समस्याओं के समाधान की मांग उठाईAlmora News :विकास भवन सभागार में मंगलवार को जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) की बैठक का किया गया आयोजन,अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ के सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा ने की बैठकAlmora News:जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने चितई गोलू मंदिर का किया भ्रमण।मंदिर के सुदृढ़ीकरण को लेकर हुआ विचार विमर्श।
Almora NewsAlmora policeDehradun NewsJobLatest PostUttar PradeshUttarakhand News

Uttrakhand News:उत्तरप्रदेश की अनन्या के मामले पर उत्तराखंड में आक्रोश

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के जलालपुर तहसील में स्थित अजईपुर गांव में हाल ही में एक हृदयविदारक घटना ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया है। एक गरीब दिहाड़ी मजदूर के घर पर प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाया गया, और इस दौरान उसकी मासूम बेटी, अनन्या यादव, अपनी किताबें और स्कूल बैग लेकर टूटते घर से भागती दिखी। यह दृश्य न केवल मानवीय संवेदनाओं को झकझोरने वाला है, बल्कि भारत के संवैधानिक मूल्यों, प्रशासनिक जवाबदेही और सामाजिक न्याय पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस प्रकरण को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता और राष्ट्र नीति संगठन के अध्यक्ष श्री विनोद चंद्र तिवारी ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर स्वत: संज्ञान लेने और इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को भी एक ज्ञापन भेजा है, जिसमें दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई और सरकार की संवेदनहीनता पर सवाल उठाए गए हैं।  

यह घटना मार्च 2025 में घटी, जब प्रशासन ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के दावे के साथ एक गरीब परिवार की झोपड़ी को ध्वस्त कर दिया। वायरल हुए वीडियो में अनन्या यादव, जो कक्षा 1 की छात्रा है, अपनी किताबों को बचाने की कोशिश करती दिख रही है। यह दृश्य शिक्षा के प्रति एक बच्ची के जज्बे को तो दर्शाता है, लेकिन साथ ही प्रशासन की क्रूरता और संवेदनहीनता को भी उजागर करता है। इस परिवार के पास न तो कोई वैकल्पिक आश्रयनहीं था। यह सवाल उठता है कि क्या गरीबों के जीवन और उनकी शिक्षा का कोई मूल्य नहीं है? क्या विकास के नाम पर मानवता को कुचलना उचित है?  

श्री विनोद चंद्र तिवारी ने अपने पत्रों में इस घटना को “मानवीय मूल्यों का हनन” करार दिया है। उन्होंने कहा, “एक बच्ची का अपनी किताबें बचाने के लिए संघर्ष करना यह दिखाता है कि हमारा प्रशासन कितना असंवेदनशील हो चुका है। यह न केवल उस परिवार के लिए, बल्कि समाज के हर उस वर्ग के लिए खतरा है जो अपने अधिकारों के लिए लड़ने में असमर्थ है।”  

🌸संवैधानिक मूल्यों पर प्रहार

भारत का संविधान अपने नागरिकों को कई मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिनमें से कुछ इस घटना में स्पष्ट रूप से प्रभावित हुए हैं:  

1. अनुच्छेद 21 – जीवन और आवास का अधिकार: संविधान का अनुच्छेद 21 प्रत्येक नागरिक को सम्मानजनक जीवन का अधिकार देता है, जिसमें आवास का अधिकार भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्णयों में इसकी पुष्टि की है। फिर भी, बिना पुनर्वास की व्यवस्था के एक गरीब परिवार का घर तोड़ना इस अधिकार का उल्लंघन है।  

2. अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार:यदि सरकार अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, तो यह चयनात्मकता क्यों? क्या बाहुबली, नेता और माफिया के कब्जों पर भी बुलडोजर चला? या यह कार्रवाई केवल गरीबों के लिए ही आरक्षित है?  

1 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाइयों को “अमानवीय” और “गैरकानूनी” करार दिया था। फिर भी, यह घटना दर्शाती है कि प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं हुआ।  

श्री तिवारी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से मांग की है कि इस मामले को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया जाए और सरकार से एक व्हाइट पेपर मँगवाया जाए, जिसमें अवैध कब्जों के खिलाफ अब तक की कार्रवाइयों का पूरा ब्योरा हो। उन्होंने कहा, “संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना न्यायपालिका का कर्तव्य है। यह घटना एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की पीड़ा का प्रतीक है।”  

इस घटना ने प्रशासनिक अधिकारियों की संवेदनहीनता को उजागर किया है। बिना विधिवत नोटिस, सुनवाई का अवसर, या पुनर्वास की योजना के बुलडोजर चलाना न केवल क्रूर है, बल्कि कानून के शासन के खिलाफ भी है। श्री तिवारी ने अपने ज्ञापन में मुख्यमंत्री से सवाल किया, “क्या उत्तर प्रदेश में सारे बाहुबली और माफिया से जमीन खाली करवा ली गई है कि अब गरीबों के घर तोड़े जा रहे हैं? क्या यह आखिरी व्यक्ति था जिसने जमीन पर कब्जा किया था?”  

उन्होंने यह भी मांग की कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166 (लोक सेवक द्वारा गैरकानूनी नुकसान) के तहत कार्रवाई की जाए। उनका कहना है, “अधिकारी कानून के रखवाले हैं, न कि गरीबों के जीवन को नष्ट करने वाले। उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए।”   

श्री विनोद चंद्र तिवारी ने उत्तर प्रदेश सरकार से कुछ कड़े सवाल पूछे हैं, जो जनता के मन में भी उठ रहे हैं:  

🌸- यदि अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान चल रहा है, तो यह गरीबों पर ही क्यों केंद्रित है?  

🌸- क्या सरकार यह दावा कर सकती है कि प्रभावशाली लोगों के खिलाफ भी समान कार्रवाई हुई है?  

🌸- बुलडोजर कार्रवाई से पहले प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की कोई योजना क्यों नहीं बनाई जाती?  

🌸- क्या सरकार इस घटना को केवल “प्रशासनिक कार्रवाई” कहकर अपनी जिम्मेदारी से बच सकती है?  

उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सरकार एक व्हाइट पेपर जारी करे, जिसमें यह स्पष्ट हो कि अब तक किन-किन लोगों के खिलाफ और कब-कब कार्रवाई की गई। यह पारदर्शिता न केवल जनता का विश्वास बढ़ाएगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगी कि ऐसी कार्रवाइयाँ भेदभावपूर्ण न हों।    

श्री तिवारी ने इस प्रकरण को एक सामाजिक और कानूनी आंदोलन का रूप देने की बात कही है। उनका कहना है, “यह केवल एक परिवार की लड़ाई नहीं है। यह हर उस गरीब की लड़ाई है जो अपने अधिकारों से वंचित है। मैं न्यायपालिका और सरकार से अपील करता हूँ कि इस मामले में त्वरित कदम उठाए जाएँ।”  

उन्होंने प्रभावित परिवार को मुआवजा और पुनर्वास देने की मांग की है, साथ ही भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों से पहले मानवीय और संवैधानिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने का आग्रह किया है। राष्ट्र नीति संगठन के अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वे इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाएँ और गरीबों के हक के लिए एकजुट हों।

यह घटना एक बच्ची की किताबों को बचाने की जद्दोजहद से शुरू हुई, लेकिन अब यह संवैधानिक मूल्यों, प्रशासनिक जवाबदेही और सामाजिक न्याय की लड़ाई बन चुकी है। श्री विनोद चंद्र तिवारी का यह कदम न केवल प्रभावित परिवार के लिए उम्मीद की किरण है, बल्कि देश के हर उस नागरिक के लिए प्रेरणा है जो अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहता है। अब गेंद न्यायपालिका और सरकार के पाले में है। क्या वे इस मासूम बच्ची की किताबों की तरह संविधान की गरिमा को भी बचा पाएंगे? यह समय ही बताएगा।

कक्षा एक की छात्रा का एक वीडियो उत्तर प्रदेश में वायरल हुआ है जिसमें एसडीएम ने एक गरीब के घर में बुलडोजर चलाया और छोटी बच्ची अपनी किताब बचती हुई नजर आए इस दृश्य पर हमने आज कनेक्शन लिया है और उत्तर प्रदेश इलाहाबाद उच्च न्यायालय को पत्र लिखकर के संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग रिट याचिका के माध्यम से की है ।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close